बीजापुर/छत्तीसगढ़ के आदेड़ गांव की जमलो मड़कम अपने ही गांव के कुछ लोगों के साथ रोजी रोटी की तलाश में दो महीने पहले तेलंगाना के पेरूर गांव काम करने आई हुई थी। वहां उन्हें मिर्ची तोड़ने का काम मिला। लॉकडाउन में काम बंद हो गया, किसी तरह कुछ दिन कैसे भी करके खाने पीने की व्यवस्था की। लेकिन लॉकडाउन लंबा खिंचने के बाद इनके सामने रोटी का संकट खड़ा हो गया, 16 अप्रैल को जमलो और गांव के 11 दूसरे लोग तेलंगाना से वापस बीजापुर के लिए पैदल ही निकले। रास्ते में जमलो की तबीयत बिगड़ी, किसी तरह 17 तारीख बीती, यह लोग करीब 100 किमी चलकर 18 अप्रैल को मोदकपाल इलाके के भंडारपाल गांव के पास ही पहुंचा था कि जमलो ने दम तोड़ दिया। जमलो अपने माता-पिता की इकलौती संतान थी।
जमलो अपने गांव से महज 14 किमी पहले दम तोड़ दिया। उसके साथ गांव के 11 दूसरे लोग भी थे, लेकिन जंगल के रास्ते उसे किसी तरह का इलाज नहीं मिल सका। जमलो साथ के लोगो ने बताया कि बच्ची के पेट में दर्द हो रहा था।