नैमिषारण्य चक्रतीर्थ में श्रद्धालुओं ने किया स्नान

कहते है चारो धाम की यात्रा के पश्चात नैमिष यात्रा के बाद ही चारो धाम की यात्रा का पुण्य मिलता है 



मर्यादापुरुषोत्तम श्री राम, सृष्टि का आदिपुरुष राजा मनु एवं रानी सतरूपा, भगवान बलराम समेत 88000 ऋषियों ने यहाँ स्नान किया है । एक कथा के अनुसार, जब द्यूत क्रीड़ा में पांडव कौरव से अपना सर्वस्व हार गए थे । इसके फलस्वरूप पांडवों को 12 वर्ष का अज्ञातवास प्राप्त हुआ था जिसमें उनको अपनी व्यक्तिगत पहचान छुपाकर रहना था । यदि उस अवधि में उनकी पहचान प्रकट हो जाती तो उनकी अज्ञातवास की समयावधि बढ़ सकती थी जिसके चलते पांडवों ने अज्ञातवास के समय नैमिषारण्य में रहकर तप किया नैमिषारण्य में अमावस्या स्नान का विशेष महत्व है जिसके चलते पांडवों ने यहां अमावस्या स्नान किया था । 



इस पवित्र मौके पर पौराणिक तीर्थ नैमिषारण्य में मंगलवार को अगहन मास की अमावस्या पर्व पर लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं ने स्नान किया । मंगलवार के दिन पड़ने के कारण यह भौमावती अमावस्या भी कहलाती है । सर्व प्रथम श्रद्धालुओं ने आदिगंगा गोमती एवं आस्था के केन्द्र चक्रतीर्थ में स्नान पूजन कर  पुण्य एवं यश अर्जित किया । इस दौरान तीर्थ मे श्रद्धालुओ ने विधिविधान से तीर्थ के मंदिरों में दर्शन पूजन किया व मनौतियां मांगी । सुबह 4 बजे से ही तीर्थ व गोमती में स्नान  एवं आचमन मार्जन के उपरान्त श्रद्धालुओं ने तीर्थ व गोमती पर पुरोहितों को अन्न एवं दक्षिणा भेंट कर पुण्य लाभ अर्जित किया । प्रातः काल ठंड के चलते स्नानार्थियों की संख्या में थोड़ी कमी दिखी लेकिन सूर्य के उदय होते लोगों का तांता बढ़ता ही गया, जो देर शाम तक चलता रहा । चक्रतीर्थ स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने माँ ललिता देवी मंदिर में प्रसाद चुनर चढ़ाकर माथा टेका और पवित्र पंचप्रयाग तीर्थ का मार्जन किया । इसके उपरांत प्रमुख दर्शनीय स्थलों कालीपीठ, हनुमान गढ़ी, सूत गद्दी, व्यासगद्दी, देवपुरी मंदिर, बाला जी मंदिर, देवदेवेश्वर, महाकाली मनसा देवी मंदिर समेत अनेक मंदिरों में माथा टेका एवं मनौतियां मांगी । इस दौरान श्रद्धालुओं ने  प्रसिद्ध मन्दिरों में पूरे दिन भक्तो द्वारा पूजा पाठ अनुष्ठानो का दौर चलता रहा । तीर्थ स्थल पर यजमानों पितृदोष निवारण के लिए अपने पुरोहितों से पिंडदान और तर्पण का कराया गया  और सुख शांति की कामना की गई ।